कोई क्या करेगा प्रीत का अंकन ?
कोई क्या करेगा प्रीत का अंकन मासूम हृदय का ये धड़कता स्पंदन।।शब्दों का मोहताज नहीं नयनों से होती मनुहार अपेक्षा कहाँ उपहारों की विश्वास करता सत्कारमाटी भी लगती सुरभित चंदन।।चाह कुछ नहीं प्रेम से माँगे नहीं प्रतिदानमन से मन जहाँ मिले सर्वप्रथम बलिहारी मानआत्मपटल पर भावों का मंचन।।मीरा बनी दीवानी कबीर हुआ मस्तानाप्रेम रस में भीग-भीग समर्पण का रचा अफ़सानापीतल नहीं हैं खरा कंचन।। बेबी''
कोई क्या करेगा प्रीत का अंकन मासूम हृदय का ये धड़कता स्पंदन।।शब्दों का मोहताज नहीं नयनों से होती मनुहार अपेक्षा कहाँ उपहारों की विश्वास करता सत्कारमाटी भी लगती सुरभित चंदन।।चाह कुछ नहीं प्रेम से माँगे नहीं प्रतिदानमन से मन जहाँ मिले सर्वप्रथम बलिहारी मानआत्मपटल पर भावों का मंचन।।मीरा बनी दीवानी कबीर हुआ मस्तानाप्रेम रस में भीग-भीग समर्पण का रचा अफ़सानापीतल नहीं हैं खरा कंचन।। बेबी''
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