Thursday, September 17, 2009


कितना सुखद अहसास है ''
कितना सुखद अहसास है '' कोई हर पल- हर घड़ी मेरे साथ है। कभी हँसाता है, कभी रूलाता है और कभी --- आनन्द के उस समुन्द्र में धकेल देता है, जहाँ------ अनुभूति की ख़ुमारी है बड़ी लाचारी है। मैं बच्ची बन चहकने लगती हूँ। खुद से ही, बहकने लगती हूँ। अपनी इस दशा को कब तक छिपाऊँ ? और किसको अपना हाल बताऊँ ? अपनी उस अनुभूति के लिए शब्द कहाँ से लाऊँ ? किसी को क्या और कैसे बताऊँ ? ये तो अहसास है। जो कहा नहीं जा सकता समझ सकते हो तो समझ जाओ। नूर की इस बूँद को मौन हो पी जाओ।

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