Thursday, September 17, 2009


तुम्हारा स्पर्श ''
शून्य-नेत्रों से गिरी बूँदरश्मि-स्रोतों से प्रथम साक्षात्कारदीर्घ-साधना की अनन्य उपलब्धि तुम्हारा स्पर्श आत्म का स्फुरण विशुद्धचेतना-कंठ में कम्पित प्रार्थना-स्वरअचेतस को तत्क्षण चेतस-बुद्धि।तुम्हारा स्पर्श पुष्प-कलि के विकसन का आमोदस्थैर्य को निरन्तरता का सूत्रआनन्द की विभोरता का लघु-प्रहसनतुम्हारा स्पर्श रूठेपन का मधु-स्मित-अनुरोधसहज भाव-नर्तन का चित्र-विचित्र'मैं'-'तुम' विलयन का सहज संचरण।

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