चाहत के चिरागतुम जो खामोश रहोगे मेरे अफ़साने आ केतुम्हारी रूह से बातें करेंगे जी भर केऔर जो अँधेरे तुम पे ढलने के लिए छाए थेमेरी चाहत के चिराग़ों से छिटक जाएँगे।तुम जो तन्हा कभी बैठे होंगेन गम़गी़न न खुश बस यों हीमेरी यादों के तबस्सुम आ केतेरे लबों के किनारों से लिपट जाएँगे।कुछ यों हमारे प्यार का किस्सा होगामेरी चाहत तुम्हें मायूस न होने देगीऔर जो काँटें तेरी राह में बिखरे होंगेमेरे कदमों की पनाहों में सिमट आएँगे।जो अँधेरे तुम पे ढलने के लिए छाए थेमेरी चाहत के चिराग़ों से छिटक जाएँगे।
Thursday, September 17, 2009
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