Wednesday, September 16, 2009
प्रेम ही सत्यम, प्रेम शिवम है, प्रेम ही सुंदरतम होगाप्रेम डगर पर चलते रहना जहाँ न लुटने का ग़म होगा।मदमाती पलकों की छाया, मिल जाए यदि तनिक पथिक कोतिमिर, शूल से भरा मार्ग भी आलोकित आनंद-सम होगा।डगर प्रेम की, आस प्रणय की, उद्वेलित हों भाव हृदय केअंतर ज्योति की लौ में जल कर नष्ट निराशा का तम होगा।बिछड़ गया क्यों साथ प्रिय का, सिहर उठा पौरुष अंतर काजीर्ण वेदना रही सिसकती, प्यार में न कोई बंधन होगा।अकथ कहानी सजल नयन में लिए सोचता पथिक राह मेंदूर क्षितिज के पार कहीं पर, एक अनोखा संगम होगा।निशा विरह को निगल जाएगी, भोर लिए संदेश मिलन काउत्तंग तरंगों पर किरणों का, झूम-झूम कर नर्तन होगा।
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