Thursday, September 17, 2009


आराधना''
यों ही उस धार में बहे हम भी जैसे पूजा के फूल बहते हैं,मेरे हाथों में तेरा दामन है मुझे तेरी तलाश कहते हैं।तुझ को पा कर के क्या नहीं पाया तुझ को खो कर के मैं अधूरी हूँ,तू जहाँ बाग़ है वो ज़मीन हूँ मैंतेरे होने में मैं ज़रूरी हूँ।तू मुझे प्यार दे या ना देख मुझेमेरी हर उड़ान तुझ तक है,तेरी दुनिया है मंज़िल दर मंज़िलमेरे दोनों जहान तुझ तक है।

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