Sunday, September 20, 2009


आसमाँ पे बिखरा साँझ का काजलहवा में लहराया सुरमई आँचलखामोशी में डूबी है तनहाईमदहोश साँझ और भी गहराईदुनिया से बेगाना ये मिलने का अंदाज़तुम और मैं, और दिलों की आवाज़थके-माँदे परिंदों के गीतउन्हें मिले हैं मन के मीतगाते हैं पेड़ चहकती है वादियाँमहकती है सांसे तेरे प्यार के अहसास से''हाथों में लेकर तुम्हारा नर्म हाथजी चाहता है, चलूँ उम्र भर साथ''......

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