आसमाँ पे बिखरा साँझ का काजलहवा में लहराया सुरमई आँचलखामोशी में डूबी है तनहाईमदहोश साँझ और भी गहराईदुनिया से बेगाना ये मिलने का अंदाज़तुम और मैं, और दिलों की आवाज़थके-माँदे परिंदों के गीतउन्हें मिले हैं मन के मीतगाते हैं पेड़ चहकती है वादियाँमहकती है सांसे तेरे प्यार के अहसास से''हाथों में लेकर तुम्हारा नर्म हाथजी चाहता है, चलूँ उम्र भर साथ''......
Sunday, September 20, 2009
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