Thursday, September 17, 2009


प्रेम तुम्हारा''
सागर की हिलोरों साप्रेम तुम्हाराछू जाएतो भिगो देता हैतुम्हारे शुभ्र-शत-लक्षप्रीत-बूँदों मेंऔर क्षण भर मेंछोड़ जाता है मुझे शीत-सनी सीअपनी सभीसोन-बूँदें लेकर...

No comments:

Post a Comment