Thursday, September 17, 2009



ईश्वर''
मैं असुरक्षित नही हूँ कदाचित'मेरे शरीर की करोड़ों कोशिकाओं मेंस्पंदित होता है,सृष्टि के अणु-अणु का प्राण तत्वबहती हैं पसीने कीहज़ारों नदियाँ....दिमाग के कोश खंडों मेंसंरक्षित है दुनिया के लियेमंगलकारी सूक्तियाँ'मेरी भुजावों में.....कुछ भी कर गुजरने की है क्षमताऔर पाँवों में दुर्गम रास्तों कोरौंदने की असीम शक्तिइसलिये मैं असुरक्षित नहीं हूँ जरा भीमेरे रोम-रोम में धड़कता हैईश्वर हीईश्वर कभी नही होता असुरक्षितवह देता है सुरक्षापराजित भावनाओंऔर दुर्बल संभावनाओं को...बेबी''

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