Thursday, September 17, 2009

प्रेम की पावन धारा है,प्रेम दीपक मन मन्दिर का।आत्मा का उजियारा है,प्रेम की पावन धारा है।प्रेम से हृदय स्वच्छ होता है,प्रेम है पाप कलुष धोता है।प्रेम संबल है जीवन का,प्रेम ने विश्व सँवारा है।प्रेम की पावन धारा है।प्रेम उन्नति का साधन है,प्रेम का हर क्षण पावन है।प्रेम के बिना दिव्य जीवन,सिंधु जल जैसा खारा है।प्रेम की पावन धारा है।प्रेम, यह जग की भाषा है,प्रेम, सबकी अभिलाषा है।प्रेम ने पातक धोए है,धरा पर स्वर्ग उतारा है।प्रेम की पावन धारा है। बेबी''

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