Thursday, September 17, 2009

(Nature) प्रकृति इश्वर की अद्भुत और अनुपम कृति है. सुख-दुःख , प्यार , करुना , राग-विराग, ईर्ष्या-द्वेष , आसक्ति-विरक्ति...एक साथ लेकर चलने वाली अपनी सीमाओं मे रहते हुए,असीम है वो, असीम से साक्षात्कार कराती है , अनुभव और अभिव्यक्ति को मार्ग देती है...प्रकृति और पुरुष ही मनुष्य की उत्पति का और निवृति का भी कारण है.... परम पुरुष परमेश्वर की भृकुटी मात्र पर प्रकृती नृत्य करती है.....ॐ''

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